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उद्यद्भास्करसन्निभं त्रिनयनं रक्ताङ्गरागस्रजं
ಪಾಣೀ ಕಪಾಲೀ ಮೇ ಪಾತು ಮುಂಡಮಾಲಾಧರೋ ಹೃದಮ್
आग्नेयां च रुरुः पातु दक्षिणे चण्ड भैरवः ॥
कूर्चमेकं समुद्धृत्य महामन्त्रो दशाक्षरः ॥ १६॥
॥ इति श्रीरुद्रयामलोक्तं श्रीबटुकभैरवब्रह्मकवचं सम्पूर्णम् ॥
आयुर्विद्या यशो धर्मं बलं चैव न संशयः ।
मियन्ते साधका येन विना श्मशानभूमिषु।
कालभैरव भगवान शिव के रौद्र अवतार हैं। आदि शंकराचार्य ने काल भैरव अष्टक में भगवान शिव के इस रूप का वर्णन किया है। कालभैरव ब्रह्म कवच कालभैरव का एक शक्तिशाली भजन है। ऐसा more info कहा जाता है कि इस ढाल का जाप करने से आप जादू-टोने और अन्य शत्रुओं के हमलों से बच जाते हैं।
हाकिनी पुत्रकः पातु दारास्तु लाकिनी सुतः ॥
पातु शाकिनिका पुत्रः सैन्यं वै कालभैरवः ।
कुरू ध्वयम लिंगमूले त्वाधारे वटुकह स्वयं च